राम लल्ला की मूर्ति क्यों काली है

प्राचीन शास्त्र में भगवान राम को श्यामल रूप में प्रतिष्ठित किया गया है, जिससे उनकी तंग रंग की छवि होती है। इस प्रकार, राम लल्ला की मूर्ति का काला रंग शास्त्रीय कथा के साथ मेल खाता है, मूर्ति के रूप में उपलब्ध वर्णनों और रामायण में पाए जाने वाले वर्णनों के बीच एक संबंध स्थापित करता है।

राम मंदिर अयोध्या
राम मंदिर अयोध्या

प्राचीन काल

अयोध्या को हजारों वर्षों से भगवान राम का जन्मस्थान माना गया है। हालांकि, स्थल पर एक विशेष मंदिर का निर्माण प्राचीन काल से ऐतिहासिक दस्तावेजों में नहीं है।

राम मंदिर अयोध्या

बाबरी मस्जिद निर्माण (1528):

मुग़ल सम्राट बाबर के जनरल मीर बाक़ी द्वारा एक मस्जिद, जिसे बाबरी मस्जिद कहा जाता है, वहाँ बनाई गई थी जहां हिन्दू विश्वास करते हैं कि भगवान राम का जन्म हुआ था।

राम मंदिर अयोध्या

बाबरी मस्जिद की तोड़फोड़ (1992)

स्थल पर विवाद उत्तरी विशेष मुद्दे के दौरान अंतिम शताब्दी में बढ़ गया। 6 दिसंबर, 1992 को, हिंदू क्रियाकलापियों ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया, जिससे भारत में व्यापक सांप्रदायिक हिंसा और तनाव हुआ।

राम मंदिर अयोध्या

राम जन्मभूमि आंदोलन

बाबरी मस्जिद की तोड़फोड़ ने स्थल के मालिकाना हक के बारे में एक लंबी कानूनी और राजनीतिक लड़ाई को उत्पन्न किया। विश्व हिंदू परिषद (विहपी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा नेतृत्व किया गया हिंदू राष्ट्रवादी संगठन, राम जन्मभूमि आंदोलन, स्थल पर राम मंदिर का निर्माण करने की प्रचार की।

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राम मंदिर: महत्वपूर्ण जानकारी

रामलला के वीआईपी दर्शन और मंगला व शृंगार आरती के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर क््थ षेत्र ट्रस्ट ने अभी कोई व्यवस्था घोषित नहीं की है। शृंगार, भोग और संध्या आरती में भक्त शामिल हो सकें गे। भगवान दिन में ढाई घंटे (दोपहर 12 से ढाई बजे तक) विश्राम करेंगे। इस दौरान गर्भगृह के पट बंद रहेंगे।

आरती में शामिल होने के नियम ट्रस्ट तय कर रहा है। अभी ट्रस्ट द्वारा पास बनाया जाता है। ऑफलाइन पास श्रीराम जन्मभूमि कैं प ऑफिस से बनता है। इसके लिए आईडी प्रूफ देना अनिवार्य होता है।

https://online.srjbtkshetra.org/#/aarti पर जाकर ऑनलाइन पास के लिए रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है, हालांकि अभी यह व्यवस्था एक्टिव नहीं हुई है। 27 जनवरी से व्यवस्था सामान्य होने की संभावना है। इसके बाद ही आप ऑनलाइन बुकिं ग कर पाएं गे।

सभी भक्तों को प्रसाद बांटने के लिए मशीन लगाई गई है। ये मशीनें परिसर में दर्शनार्थियों के वापसी के रास्ते पर स्थापित हैं। अभी शुल्क के साथ प्रसाद की कोई व्यवस्था मंदिर में नहीं है।

भक्त भी विशेष अनुमति से शाकाहारी और शुद्ध मिठाई और मेवे आदि का भोग लगवा सकते हैं। सुरक्षा कारणों से रामलला के मंदिर में भगवान को अर्पित करने के लिए नारियल, फू ल माला, शृंगार या कोई और चीज भक्त नहीं ले जा सकें गे।

मंदिर दर्शन के वक्त आप अंदर के वल पैसा और चश्मा जैसी जरूरी चीजें ही ले जा सकें गे। अन्य वस्तुओ के ल ं िए दर्शन मार्ग पर लाॅकर की सुविधा है।